Monday, May 31, 2010

उधार की कार में शादी। क्या आप ने भी कभी कुछ उधार लिया ?

हमें एक शादी में जाना था। जगह हमारे घर से दूर थी। रात को बारह बजे के बाद ही लौटना था। अपने पास पुराने जमाने की मोटर साइकिल है। शादियों में जाना हो तो दो पहिए पर कई दिक्कतें होती है। हालांकि अपन कभी भी अच्छे कपड़ों के लिए नहीं जाने जाते। सो हमें यह दिक्कत नहीं है। कि दिल्ली का प्रदूषण हमारी सफेद शर्ट का रंग ही बदल देगा। लेकिन महिलाओं को साड़ी पहनकर बैठने में दिक्कत होती है। वह भी शादी वाली । बालों की भी परेशानी होती है। अगर आपकी पत्नी बालों को खुला रखकर शादी में जाना चाहती है तो। इसके अलावा दिल्ली में हो रही लूट भी एक परेशानी है। नकली जेवर भी लोग लूट ले लाए। इसका टेंशन नहीं है। लेकिन जान असली है। उसका भी खतरा है। आधी रात को आना हजार तरह की दूसरी शंकाओं को भी जन्म देता है। सो अपन ने एक दोस्त से कार उधार मांगी। और शादी में गए।
क्या किसी चीज को उधार लेना। हमारी परेशानी है। या फिर मानसिकता। मैं देर रात तक सोचता रहा। कई बार मजबूरी भी हो सकती है। लेकिन अपनी सुविधाओं के लिए उधारी। ये बात कुछ समझ में नहीं आती। अस्पताल जाना हो। रात को आटो न मिलता हो। तो कार मांगना समझ में आता है। लेकिन शादी के लिए कार। बात कुछ अटपटी सी लगती है। जिस तरह से जब भी दिल्ली में क्रिक्रेट का मैच होता है। या फिर संगीत का कोई कार्यक्रम। मैं पहले से डर जाता हूं। कि अब हमारे जानने वाले पास के लिए फोन करेगें। उसी तरह मेरे पड़ोसी भी शादियों का सीजन आते ही। अपनी कार को लेकर परेशान हो जाते है।
हमारे एक दोस्त है। भरत। उनका कहना है कि हम कई बार ऐसे लोगों से बेवजह संबंध बनाते हैं। जिनके पास कार होती है। उन्हें नमस्कार करते है। कभी कभार चाय नाश्ता पर भी बुलाते है। हमें यह बात क्यों नहीं समझ में आती कि इमरजेंसी में हम टैक्सी स्टेंड से भी कार मंगा सकते हैं। हमने वेवजह अपना समय सिर्फ कार के लिए जाया किया। हमारी जिंदगी में उधारी की महत्वपूर्ण भूमिका है। राशन उधार। रोज मर्रा के तमाम काम उधार। जरूरत पढ़ने पर पैसे उधार। शादी में जाना हो तो कार उधार। बीमारी में थर्मस उधार। कोई खाना खाने आए तो बाजू वाले से बर्तन उधार। मुझे लगता है। उधार एक सबसे बड़ा झूठ है। जो हम अपने आप से बोलते है। और एक ऐसा पानी का तालाब। जिसे देखकर हम रेगिस्तान में भागते है। हमें हर वो चीज जो मुफ्त में मिलती है। हम उसके पीछे भागने लगते है। जिंदगी में अब कई बार लगता है कि कई चीजें जो हमनें उधार ली थी। उनके बिना भी काम चल सकता था। जैसे कल मैं शायद बिना कार के भी शादी में जा सकता था। क्या आपकों भी लगता है कि उधारी के बिना ज्यादा बेहतर तरीके से जिया जा सकता है। हमें बताइएगा जरूर।

1 comment:

  1. गुरू । ये चार्वाक दर्शन वाला देश है। यावत जीवेत सुखं जीवेत ऋणं क्रत्‍वा घिरंतं पीवेत। यहां तो उधार की लकडी मिले तो लोग जल मरें। उधार का चंदन घिस मेरे नंदन

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