हम टीवी में रिपोर्टर हैं। हमें स्मार्ट दिखना चाहिए। और उम्र दराज न लगें। इसकी भी कोशिश करनी चाहिए। सभी हमसे कहते हैं। उम्र भी अजीब खेल खेलती है। हमारे साथ। शरीर भी किश्त किश्त बदलता है। पहले बाल सफेद हुए। सो हमनें काले किए। गंजे हुए। सो बिग लगा लिया। अब मूछें सफेद हो रही है। सो काट ली। शरीर बेडोल हो रहा है। सो घूमना शुरू करना है। अब लगता है। कुछ दिन बाद चश्मे की बारी है। और फिर दांतो की।
हम कालेज में थे। तभी से बाल गिरना शुरू हो गए। दादी जब भी कोई विज्ञापन देखती। तेल का नाम कागज पर लिख लेती। कुछ दिन तक मुझसे कहती रहती। फिर चिल्लाती रहती। और अंत में खुद ही कहीं से मंगा देती। लेकिन कभी कोई काम गंभीरता से किया ही नहीं। सो वक्त पर तेल भी नहीं डाल पाता था। दादी को पूरी उम्मीद थी। कि वक्त पर अगर तेल को दवाई की तरह इस्तेमाल करूं तो बाल नहीं गिरेगें। लेकिन सब कुछ अपनी इच्छा से कहां हो पाता है। वे देखती रही। बाल गिरते गए। मैं दिल्ली चला आया। और भी लापरवाह हो गया। और धीरे धीरे गंजा हो गया। वे मेरे गंजे सिर को देखती तो दुख उनकी आँखो में साफ झलकता था। लेकिन मैं कुछ कर ही नहीं पाया। हालांकि वे मुझसे पूछती रही कि दिल्ली में बिग मिलते हैं। लेकिन मैं सुनता जाता । लेकिन कभी कुछ किया नहीं। फिर एक बार छोटा भाई आया। मुझे बिग पहना कर चला गया। और हम चालीस साल की जगह वापस अपनी उम्र पा आ गए। तीस के दोबारा हो गए।
हम संभल ही पाए थे। कि बाल सफेद होने लगे। नकली चीज तो और भी जल्दी अपना रंग बदलती है। बिग और भी जल्दी सफेद होने लगा। सो अब बाल काले करने भी शूरू कर दिए। एश्वर्या राय़ कहती है। बाल और भी खूबसूरत हो जाते हैं। उनकी बात मानकर उसी कंपनी का रंग रोगन ले आया।बालों पर रंगदारी करने लगा। अब संकट मूछों पर था। हर रोज सफेद सफेद। लोगों ने सलाह दी है। काट लो। अच्छे लगोगे। सोच रहा हूं। काट ही लूं।
हम जिंदगी में किस तरह से अपने आप को बचाए रखना चाहते है। हम क्यों हर कदम पर छल कपट प्रपंच करना चाहते हैं। हम अपनी उम्र किससे छुपा रहे हैं। हम स्मार्ट किसके लिए बनना चाहते है। ये धोखा हम दुनिया को दे रहे हैं। या अपने आप को। हम किसके लिए अपनी सुंदरता बचाकर रखना चाहते हैं। पता नहीं। मुझे समझ में नहीं आता। मेरी नौकरी है। मुझे ये सब करना ही है।
लेकिन मुझे एक बात हमेशा लगती है। कि क्राईस्ट हो या नानक। कबीर हो यां फिर मोहम्मद। इनकी बातें दुनिया में खूब सुनी गई। लेकिन ये लोग आज के मांपढंड में स्मार्ट नहीं थे। क्या महावीर के कपड़े या फिर बुद्ध की सुंदरता कोई देखता था। शायद नहीं। मुझे लगता है जो सच है वो सुना जाएगा। जो फरेब हैं। उसे कौन सुनेगा। और उसकी आयु भी क्या होगी। जरूरी नहीं है। कि टाई लगाकर अच्छे कपड़े पहनकर जो कहा जाएगा।वो सच होगा। क्या आप भी इस तरह का कुछ कर रहे है। अगर हां तो क्यों। और नहीं तो क्यों नहीं। हमें बताइएगा जरूर।
नहाना तो कम से कम रोज चाहिये बाकी आपकी मर्ज़ी
ReplyDeleteAbsolutely not. Mooch to mard ki shaan hai, (to quote Nasiruddin Shah).
ReplyDeleteपता नहीं ! मैंने तो सुना था की उम्र के ये लक्षण व्यक्तित्व की गरिमा बढ़ाते हैं ........
ReplyDelete