Sunday, July 10, 2016

नेताओं ने हमारी इंसानी पहचान मिटा दी। हमें सिर्फ जातियाों में बांट दिया।

सुबह खबर पढ़ी। मायावती ने कहा है कि वे उत्तर प्रदेश में सौ मुसलमानों को टिकिट देगीं। इसके पहले मोदी मंत्रीमंडल में जातिगत समीकरण देख चुका हूं।  एक जगह पड़ा था। इतने दलित। इतने पिछड़े। इतने ब्राह्मण मंत्री बनाए गए। इन तमाम गणितों को देखकर दुख होता है। मध्यप्रदेश के शिवराज सिंह चौहान कहते है कि किसी माई के लाल में दम नहीं है। जो आरक्षण खत्म करा दे। लगता है कि हम सिर्फ जातियों में बंट कर रह गए हैं। हमारी  इंसानी पहचान खत्म हो गई है। अलग अलग राजनैतिक दलों के अलग अलग समीकरण है। किसी पार्टी ने हिंदू और मुसलमान एकता की  बात की और एक पार्टी बना ली। किसी ने सिर्फ हिंदुओं की बात की। पार्टी बना ली। यादव और मुसलमान पार्टी बना ली। दलित और मुसलमान पार्टी बना ली। क्या ये समीकरण सिर्फ चुनाव के जीतने के लिए खड़े किए जाते  है। शायद नहीं। इन समीकरणों पर मेहनत करके समाज को बांटने की साजिश हो रही है। और हम पूरी मासूमियत के साथ  बंटते चले जा रहे है। जरा गौर कीजिए कहीं हमारी पहचान सिर्फ जातियों की ही न बचे। और हम अपनी इंसानी पहचान खो दे।