Monday, April 27, 2020

बहुत जरूरी है फुर्सत के दिन -रात

एक अर्से के बाद याद आया कि हम ब्लाग भी लिखते थे। आप जैसे लोग इन्हें पढ़ा भी करते थे। आपाधापी में बहुत कुछ छुट गया। ब्लाग लिखना भी। लिखने के हजारों फायदे होगें। लेकिन एक फायदा यह भी है कि यह ऐसा आईना है जहां पर उसी रूप में दिखते जैसे थे। लोग जैसे फोटो खिंचाकर रख लेते है। वैसे ही शब्द भी आपकी तस्वीर बनाकर सहेज लेते है। आइने से ज्यादा गंभीर होती है शब्दों की तस्वीर। क्योंकि आइना सिर्फ वही नैन नक्श बताता है। जो आपने उस समय खीचें थे। लेकिन जो तस्वीर शब्द बनाता वह पूरा व्यक्तित्व ही खींच देता है। आइऩे की तस्वीर से रास्ते नहीं मिलते। लेकिन शब्दों की तस्वीर से रास्तें मिलते है। फिर उसी चौराहे पर वापस जा सकते हो। एके बार उन्हीं रास्तों को तक सकते हो। इसलिए आइने की तस्वीर तो ठीक है। लेकिन शब्दों  से अपना फोटो खींचते रहिए। काम आएगा। अपने को जानने के लिए यह जरूरी भी है।