Monday, May 24, 2010

अशांत मन और तनाव में शांत होकर बैठ जाए। बुद्द की एक अच्छी कहानी है।

मैंने आज बुद्ध की एक कहानी पढ़ी। बुद्ध आनंद के साथ जा रहे थे। उन्होंने एक नाला पार किया। करीब आधा किलोमीटर आगे जाने के बाद उन्होंने आनंद से कहा कि मुझे प्यास लगी है। तुम जाकर पानी ले आओ। आनंद को याद था। कि आधे किलोमीटर पहले ही एक साफ पानी का नाला था। उसका पानी एक दम साफ चमक रहा था। आनंद भाग कर गया। लेकिन उसने देखा कि उस नाले से कई बैलगाड़ियां होकर निकली है। और पानी एकदम गंदा हो गया है। आनंद ने बुद्ध से जाकर कहा। नाले का पानी गंदा हो गया है। मैं पास से पानी लेकर आता हूं। यहां करीब ही एक नदी बहती है। बुद्ध ने कहा नहीं। मुझे इसी नाले का पानी पीना है। आनंद को हैरत हुई। लेकिन वह वापस गया। उसने देखा पानी अभी भी गंदा है।वह वापस लौट कर आया। बोला वह पानी नहीं पिया जा सकता। लेकिन बुद्ध शायद उसे कुछ सिखा रहे थे। उन्होंने कहा कि जाओं और इंतजार करों पानी के साफ होने का। मैं वहीं पानी पीयूंगा। आनंद वापस कुछ देर बैठा रहा। उसने देखा कि गंदगी साफ हो गई है। कुछ चीजें नीचे बैठ गई है। कुछ बह गई है। आनंद पानी लेकर वापस आ गया। बुद्ध ने पूछा। आनंद कहीं तुम्हारी इच्छा पानी में कूद कर उसे साफ करने की तो नहीं हुई। आनंद ने कहा कई बार हुई। और मैं कूदकर साफ भी करने की कोशिश करता रहा। लेकिन हर बार पानी और गंदा हो जाता था।बुद्ध शायद यही उसे बताना चाह रहे थे।
कथा पढ़कर मुझे लगा। जिंदगी में कई बार हम जब अशांत होते हैं। परेशानी में होते हैं। या तनाव में होते हैं। तो हम बिना सोचे समझे। उसे सुलझाने के लिए कूद पड़ते है। आनंद की तरह। और अपने को और उलझा लेते है। शायद हमें भी विपरीत समय में शांत होकर बैठ जाना चाहिए। परेशानी हमारी अपने आप बैठ जाएगी। आपके साथ क्या कभी ऐसा हुआ है। कि आपने अपनी परेशानी सुलझाने के लिए कोशिश की हो और ज्यादा उलझ गई हो। अपने अनुभव हमें बताइएगा।

3 comments:

  1. आलोक जी आपने एक अच्छी कहानी साझा की उसके लिए धन्यवाद। मुझे भी कुछ सीखने के लिए मिला। कभी कभी लगता है बुद्ध की कहानियां पढ़ता जाऊं पढ़ता जाऊं बस पढ़ता जाऊं लेकिन लेकिन एेसा हो नहीं पाता। आप भी जानते हैं। लेकिन जब भी मौका मिले महापुरुषों से संबंधित कहानियां पढऩी चाहिए। एक बार फिर आपका धन्यवाद।

    http://udbhavna.blogspot.com/

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  2. सीख देती कथा.

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  3. हां ये तो है....सही कहानी सही समय पर आज पढ़ ली..खुद ही पानी गंदा कर रहा था....कभी कभी पढ़ी सही समय पर सामने आकर काम कर जाती है..धन्यवाद

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