Monday, April 26, 2010

डायबिटिक बुआ कहती है...भगवान के प्रसाद में शक्कर नहीं होती

अपनी बुआ कहती है कि भगवान के प्रसाद में जो लड्डू मिलता है....उसमें शक्कर नहीं होती....अगर कोई खुशी से मिठाई खिला रहा है तो मना नहीं किया जाता ....उसका दिल टूट जाता है... और दादी ने अगर मगौड़ी, पकौड़े या फिर दही बड़ा बनाए हैं तो एक आध चखने में बुराई नहीं है...हां और अगर कोई समोसा ले आया है तो एक खाने में शक्कर इतनी नहीं बड़ जाएगी कि हाय तौबा मचाई जाए..यानि हर बार मिठाई या फिर तेल की चाट खाने की एक वाजिब वजह है उनके पास ...वर्ना वे संयमी है......काफी परहेज से रहती है....
हमारा घर संयुक्त परिवार हैं...लिहाजा बचपन से ही फर्क कर पाना मुश्किल था कि कौन मां और कौन बुआ...कौन दादी और कौन चाची....सभी से एक जैसा ही रिश्ता था...बहुत बड़े तक हमें अपनी बड़ी बुआ भी मां ही लगती रही...वे ही मुझे पढ़ाती थी....वे ही मेरी स्कूल जाती...और कपड़े भी वे ही लिवाती थी...जब कुछ समझदार हुआ...तब पता चला कि बुआ और मां अलग अलग होती हैं...लेकिन फिर अपन से ये फासला बनाया न गया.....से वे आज भी मां...बुआ...दादी और बहिन हैं...उनका सीधापन और मासूमियत इतनी कि हमारा सबसे छोटा भाई जो अभी कुछ ही सालों का हैं...वो भी उनके साथ मजा कर लेता है...पिछली बरसात में उसने इतने भरोसे के साथ कहा कि बुआ बाहर भीगने आजाओं मीठे पानी की बारिश हो रही है....बुआ को हमारे पिता से लेकर जीवू तक चिढ़ाते हैं...उन्हें आप कितना भी नाराज कर ले....किसी भी बात पर नाराज कर ले....लेकिन दो गर्म समोसे उन्हें वापस आप तक उतना ही नजदीक ला सकते जितनी दूर वे गुस्से में गई थी....
पश्चिम में एक विचारक हुआ है..फ्रायड....जो कहता था कि जिस बात को आप जितना दबाएंगे...बात उतनी ही तेजी से बाहर निकलेगी...रजनीश भी एक जगह कहते है कि विचार को अगर अभिव्यक्ति न मिले तो वह कुंठा बन जाता है....शायद हर शक्कर की बीमारी वाले मरीज को मीठी चीजें ज्यादा पसंद आती..शायद इसीलिए कि उसे मनाही होती है...या फिर जो चीजे हमारे अंदर कम होती है...उसकी पूर्ति के लिए मन न जाने कितने बहाने बनाता है....हम अपने जीवन में भी ऐसे कई काम करते हैं...जिन्हें हम अंदर से सही नहीं मानते..लेकिन करते ही नहीं उन्हें सही ठहराते हुए करते हैं...जैसे हर कमजोर आदमी गुस्से में ज्यादा जोर से गाली बकता है...मारने की धमकी देता है.....हर व्याभीचारी...नैतिक मापडंढो की बाते करता है...कांग्रेस पार्टी लोकतंत्र की और बीजेपी मर्यादा की बातें अक्सर करती हुई दिखती हैं...जैसे राहुल गांधी दलितों के घर सोते हैं...हमारे नेता तो पूरी तरह से इंमानदार होते है ...ये अलग बात है कि उनके बच्चें या फिर उनकी तीसरी या फिर चौथी प्रेमिका.. अक्सर फायदा उठाने वाली कंपनियों में मुलाजिम होती हैं....
किसी ने कहा है कि सच भी कई तरह के होते हैं...एक मेरा सच...एक तेरा सच और एक जो सच हैं...लेकिन झूठ गजब की चीज हैं...वह एक ही होता है...मेरा भी ...तेरा भी है...और वह अपना भी...जब हम कोई बहाना बनाते है या फिर कोई झूठ बोलते हैं तो हम मानकर चलते हैं कि हम अपना झूठ तुम्हारे लिए सच बनाकर बोल रहे हैं...और कोशिश भी करते है कि हमारा झूठ सामने वाले का सच हो....मुझे नहीं पता कि ये मेरी बुआ की मासूमियत है या उनका बहाना ....लेकिन में गणपति से प्रार्थना करूंगा कि अगर तेरे होने में सत्य है तो कम से कम इतना तो कर ही दो कि जो लड्डू तुझे प्रसाद में चढ़ाकर मेरी बुआ खाती है..उसमें शक्कर न हो...मैंने सुना है तुम्हारे पिता शिव ने समुद्र मंथन के समय सागर का पूरा विश पीकर नीलकंठ हो गए थे....तुम क्या मेरी बुआ के लड्डू से सिर्फ शक्कर नहीं खा सकते...हैं गणपित अपने होने का सिर्फ इतना ही हमें फायदा हमें दे ....दे उस लड्डू का मीठा जहर कम करे दे..जिसे मेरी बुआ तेरा प्रसाद समझकर खाती है...

5 comments:

  1. सीमा का अगर ख्याल रहे तो कुछ भी खराब नहीं. अति ही तकलीफदायक होती है.

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  2. आलोक । आज तुम्‍हारा ब्‍लॉग पढ्ने का मौका मिला। आत्‍मीयता, राजनीति, दर्शन, रिश्‍ते, प्‍यार और छोटे शहरों के बडे संस्‍कारों का स्‍वाद एक साथ मिल गया। लगा जैसे मैं भी परकोटा वाले तुम्‍हारे घर में पहुंच गया हूं। सागर याद दिला दिया जालिम तुमने।
    लिखते रहना और बिना लाग लपेट के वैसे ही लिखना जैसे बोलते हो। न कोई बंदिश, न भाषा की कोई चाशनी, दिल से दिल तक पहुंचने वाली बात लिखोगे तो आनंद आयेगा।
    आशीष देवलिया

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  3. bhai well i can never b a great author/lauriate like u.......
    bt still a small advice 2 increase your popularity-
    this world z a highway of high speed automobiles no one cares for anyone's feelings they need entertainment
    so this time try out your hilarious script.......

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  4. jijjy ne blog suna...
    bohout achcha laga
    par haan mera khota sikka chal to gaya
    par sola aane mein nahi..
    tanak jaadai dheemo haii!!!!
    SPECIAL COMMENTS BY JIJJYYY

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  5. सिर्फ यहाँ आये एक कमेन्ट पर... आप जो भी लिखते है बहुत अच्छा लिखते है..... दिल को सुकून मिलता है... लोगो को इंटरटेनमेंट नहीं ईमानदारी चाहिए... और आपके लेख में वो दिखती है, जो आपका मन करे वैसा लिखिए, दुसरे क्या चाहते है वे उनपर छोड़ दीजिये.

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