Saturday, April 30, 2016

कान्हा की पुरानी टीचर देखकर रो पड़ी। कहा 23 साल में पहली बार कोई बच्चा मिलने आया है।

शनिवार था। देर से दफ्तर जाना था। सोने का पूरा मूड था। लेकिन सुबह पांच बजे से ही कान्हा ने ऊधम शुरू कर दिया। छह बजे उठ ही गया। कान्हा की जिद पर आज पहली बार इतना गुस्सा हुआ। चिड़ आई। पेऱशान हुआ। लेकिन बाद में आंखे ही डबडबा गई। आसुओं को बड़ी मुश्किल से रोक पाया। कान्हा ने अपनी प्ले स्कूल मालवीय नगर में ही की है। उस स्कूल में कान्हा को अपनी टीचर रीमा मैडम बहुत पसंद  थी। वक्त के साथ सब कुछ छूटता चलता है। लेकिन आदमी एक कच्ची सी डोर में  कुछ रिश्ते अपने साथ लेकर चलता है। इस साल कान्हा ने नरसरी में दाखिला लिया। तो पूरानी स्कूल छूट गई। और टीचर भी। शनिवार को उनकी अमिटी बंद थी।लेकिन वह सुबह से ही जिद कर रहा था। पुरानी स्कूल चलना है। रीमा मैडम से मिलना है। सो तैयार होकर चल पड़े। रास्ते में कहा मैडम तो हमको चाकलेट देती थी। उनके लिए भी एक चाकलेट ले लो। महीने की तीस तारीख को कान्हा का यह प्रेम मुझे कुछ ज्यादा ही महंगा लग  रहा था। लेकिन तीन साल के बच्चे को यह कैसे समझाएं की महीने की आखरी तारीख को महंगी चाकलेट किसी को देना अच्छी आदत नहीं है। लेकिन गुस्से में यह जिद भी पूरी की।
शनिवार को स्कूल उदास दिखते है। शायद उनकी रोनक उन बच्चों में होती है। जिनकी चहल कदमी  से वे जिंदा होते है। जैसे ऩई कोपल किसी भी पुराने पेड़ को जीवित बना देती है। सो उस उदास स्कूल में सन्नाटा पसरा था। कुछ टीचर आने वाले हफ्ते की तैयारी में जुटे थे। लेकिन कान्हा की आवाज गूंज गई। रीमा मेंम। मेम वो बैठी है। उन्हें शायद माजरा समझ में नहीं आया। यह बात उन्हें समझनें में।फिर यकीन करने में काफी देर लगी कि कान्हा उनसे मिलने आया है। चाकलेट लेकर। जब उन्हें यकीन हो गया तो वे चुप सी हो गई। कहने लगी। हमको इस स्कूल में 23 साल हो गए। जिंदगी में पहली बार कोई बच्चा मुझसे मिलने आया है। प्ले स्कूल का टीचर न बच्चों को याद आता है। न उनके मम्मी पापा को। उन्होने कान्हा को गोद में ले लिया। उससे बात करती रही। जब हम कान्हा को लेकर वापस आ रहे थे। तो उसके गाल पर दो आंसू चिपके थे। रीमा मैडम के। मुझे लगा ये दो अमृत की बूंदे है। जो शायद मेरे बेटे को  जीवन भर आशीर्वाद के रूप में काम करेगीं। मैंने भी सोचा जब भी सागर जाउंगा तो अपनी पहली टीचर के पैर छून जरूर जाउंगा। कान्हा ने आज मुझे  जिंदगी का पहला सबक सिखाया है। 

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