Thursday, April 21, 2016

पढ़कर अच्छा लगा। पूरी दुनिया में आप जैसा दूसरा कोई नहीं।

पढ़ने लिखने का मौका कम मिलता है। यह बहाना नहीं चलेगा। जानता हूं। जिन्हें पढ़ना होता है। वे पढ़ ही लेते है। कभी भी कहीं  भी। लेकिन कहने में अच्छा लगता है। यह मुहावरा। पढ़ने लिखने का वक्त ही नहीं मिलता। इससे दो बातें साबित हो जाती है। पहली हम पढ़ने-लिखने वाले हैं। दूसरा आजकल काम में व्यस्त है। सो हम भी चूकेंगे नहीं। इन दिनों पढ़ाई-लिखाई नहीं हो रही। बहुत दिनों से कोई किताब ही नहीं  खरीदी। हां शुक्र है। WhatsApp का। आजकल दुनिया  के तमाम जानकार। दार्शनिक ।साहित्यकार। यहां मिल जाते हैं। और अपन अपडेट रहते है। एक मि्त्र ने ओशो का एक संदेश भेजा। बड़ा प्यारा। और उत्साहवर्धन करने वाला है। उसमें लिखा है। पूरी दुनिया में अगर तुम एक पत्ता लेकर भी निकलो। तो उस तरह का। उस जैसा। पूरी तरह उसकी फोटो कांपी मिलना मुमकिन नहीं  है। भगवान ने हर चीज को एक ही बनाया। इसमें उसने किसी को भी repeat नहीं किया। यह जानकार अच्छा लगा।
पिछले कई दिनों से। मन कुछ परेशान सा है। लगता है कि जिंदगी की किताब के पन्ने फिर से पलटकर देखे। कहीं कुछ गलत तो नहीं सीखा-समझा है। लेकिन अोशो की  यह बात पढ़कर अच्छा लगा। और उत्साह भी आया। लगा कि अपना सिर्फ होना ही सार्थक है। भगवान ने इस पूरी दुनिया में अपने जैसा कोई दूसरा नहीं बनाया। लिहाजा किसी दुसरे से अपनी तुलना करना बेमानी है। हर किसी की सफलता। हर किसी की असफलता। उसके जीवन मूल्य। उसकी चाल। उसका चरित्र। सब कुल अलग है। जब हमारे जैसे कोई दूसरा इस दुनिया है ही नहीं। फिर किसी से क्या तुलना। अपना आलस्य। अपनी गप्पे। अपनी बाते। अपनी हार। अपनी असफलता। सब कुछ अपना है।एक दम यूनिक। यानि न कोई अपन से आगे।  न अपन किसी से पीछे। सब के रास्ते। अलग अलग है। सबकी मंजिले अलग अलग है। जो कुछ हमारे पास है वो किसी दूसरे के पास नहीं। लिहाजा जो भी हमारे पास है। वह कीमती है।और शायद हम भी। और आप भी।

No comments:

Post a Comment