Monday, May 2, 2016

बुंदेली कहावत है। बाल्टी में रस्सी जरूर बांधना नहीं तो कुए का अपमान होता है।


दादा सीधे साधे सज्जन व्यक्ति थे। वे शब्दों के खिलाड़ी नहीं थे। न गप्पे ठोकना। न बड़ी बड़ी बाते करना। न रोचक बातें सुनाना। शब्दों से जाला बुनना। लोगों को अपने साथ सिर्फ बातें हांककर जोड़ना उन्हें नहीं आता था। लेकिन उनका हथियार मेहनत थी। वे मेहनती थे। गजब के। न जाने क्यों उनका ये गुण अपन तक नहीं पहुंच पाया। लिहाजा मैं ये कहकर बहुत सी बातें नहीं लिख सकता कि मेरे दादा कहते थे। लेकिन आज उनकी एक बात जो उन्हें बहुत पसंद थी मुझे याद आ गई। वे कहते थे कि बरसात में कई बार खेतों की कुइयों में पानी जमीन की सतह ता आ जाता है। तुम चाहो तो पानी सीधे कुएं से भर सकते हों।लेकिन तुम्हारे इस व्यवहार से कुएं का अपमान होता है। इसलिए हमेशा कोशिश करना कि बाल्टी में चाहे आधे हाथ की रस्सी बांधों लेकिन बांधना जरूर। इतना लिहाज हमेशा रखना।

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