Wednesday, April 27, 2016

बहुत दिनों बाद बारात देखी। सो ठिठक कर देखता रहा।

सालों हो गए। किसी की बारात में गए ही नहीं। अब दिल्ली में सीधा reception का चलन है। कोई बारात के लिए अब बुलाता नहीं। सागर से इक्का-दुक्का फोन कभी-कभार आ जाते हैं। सो अपन जा कहां पाते है। लिहाजा अब बाराती बनने के सोभाग्य से अपन वंचित है। लेकिन सोचते है कि अभी भी लोग मुंह में रुमाल फंसा कर नागिन डांस कर रहे होगें। बारात जब लड़की की घर पहुंचती है। तो डांस बदल जाता है। नाचने वालों के अंदाज बदल जाते है। हर स्टेप छत पर देखकर होने लगता है। कुछ लोग जिन्हें सदियों से सिर्फ बारात जल्दी लगवाने की जिंम्मेदारी इश्वर ने दी है। शायद अभी भी चिल्लाते होगें। जल्दी करो। समय हो गया। वे लोग जो जन्मजात ही ट्रैफ्रिक को दूरुस्त करने में लगे रहते है। अपना काम कर रहे होगों। हालांकि वे बड़ा महत्वपूर्ण काम करते है। और हां जीजा-फूफा अभी भी बारात में देरी करवा रहे होगें। उन्हें इज्जत जो कम मिली है। चाचा जी अभी भी गुस्से में होगें। कहते होगें। अब बुजुर्गों की इज्जत कहां रही। चलो जैसा चल रहा है। तो चलने दो बारात के पीछे पीछे महिलाओं से अलग। छोटी मौसी या मंजली बुआ गुस्से में चल रही होगीं। वजह अजीब है। महीनों पहले तय हो गया था कि वे शादी में पिंक साडी़ पहनेगीं। चप्पल बबली की पहनेगीं। लेकिन अाज बबली ने अपराध किया है। खुद ही पिंक सूट पहन लिया। और चप्पल भी। अब बुआ जी को काली चप्पल पहननी पड़ी। वे गुस्से में है। पहले से मना कर देती तो बुआ जी कम से कम दस जोड़ी चप्पल ला सकती थी। आज इस परदेश में कहां से लाए।। दुल्हा पान खाकर बैठा था। अपने कुछ दोस्तों को नांचने के लिए कह रहा था। हमनें सोचा चलो पिछले 40 सालों में कछ नहीं बदला। और हां कुछ लोग छूट ही जाएगें। जिनके तिलक नहीं हो पाएगें। बात पैसे की नहीं थी। बात सम्मान की थी। उन्हें सालों तक कहने का मौका मिलता रहेगा।
हमारे समय में बारात बदल रही थी। उसमें नई नई चीजें आ रही है। बसों का चलन आम हो चला था।किराए के चार पहिया लेकर जाना। नौजवानों का नया फैशन था। दुल्हा का छोटा भाई अपने दोस्तों के साथ जीप करके जाता था। बसों में बुजुर्ग और महिलाओं की संख्या बड़ रही थी। डांस में डीजे शुरू हो रहा था। दुल्हें के साथ बराताी भी सूट पहनने लगे थे। नागिन के साथ साथ भांगड़ा शुरू हो गया था।

No comments:

Post a Comment