Friday, May 14, 2010

पिता ने कहा। छुट्टी के दिन भी एक्सट्राक्लास। ये इस साल फेल हो जाएगा।

क्या आपको याद है। आपने कभी छुट्टी को कोसा है। जिंदगी में कभी ऐसा दौर रहा हो।जब छुट्टी दुश्मन लगी हो। हम यूं तो हफ्ते भर छुट्टी का इंतजार करते है। लेकिन कभी छुट्टी का दिन कटता ही न हो। लगता हो कब ये खत्म हो। जिंदगी में कभी आपको संडे दुश्मन लगा है। शायद ये सब हुआ होगा। याद करिए। उन दिनों जब आप किसी से टूटकर प्रेम करते थे। और छुट्टी के दिन वो न मिले। तो दिन ही खराब गुजरता था। आया कुछ याद।
संडे की शाम को अपने घर में घुसते ही जा रहे थे। पिता मिल गए दरवाजे पर। पूछा कहां थे। दिनभर दिखे नहीं। मैने कहा युनिवर्सिटी गया था। संडे को ? उन्होने स्वाभाविक प्रश्न पूछा। हमने कहा। एक्सट्राक्लास थी। वे बोले संडे को। मैने कुतर्क किया। एक्सट्राक्लास तो संडे को ही लगती है। आम दिनों में तो क्लास ही होती है। वे बोले बेटा हम भी युनिवर्सिटी में कई साल पढे। लेकिन संडे को कभी एक्स्ट्रक्लास न लगी। मैंने कहा अब पढ़ाई कठिन हो गई है। वे बोले कठिन हो गई है। या बदल गई है। दादी गुस्से में थी। लड़का छुट्टी के दिन भी पढ़ने गया था। दिन भर के बाद लौटा है। भूखा प्यासा। तुम पुलिस वालों की तरह प्रश्न पूछे जा रहे हो। वे दादी के आगे चुप हो गए। लेकिन दादी से कहा कि संडे के दिन भी ये एक्सट्रा क्लास जा रहा है। इस साल इसका फेल होना तय है।
बात उन दिनों की है। जब हम युनिवर्सिटी में थे। और जमकर प्रेम के रंग में रंगे थे। अपनी क्लास उन दिनों प्रीरियड के हिसाब से नहीं चलती थी। गर्ल्स बस के पहले चक्कर से शुरू होती थी। और आखरी चक्कर पर खत्म होती थी। हालांकि घर वाले भी परेशान थे। कि यूनिवर्सिटी में आजकल इतनी पढ़ाई हो रही है। दादी सुबह सुबह उठकर टिफिन भी बना देती थी। उन्हें लगता था कि लड़का दिनभर के लिए पढ़ाई करने जा रहा है। मैं उनको बता भी देता था कि हमारी क्लास में कुछ लड़के हास्टल के भी है। जिन्हें अच्छा खाना नहीं मिलता। हमें दादी की इस कमजोरी का पता था। सो वे खूब सारा खाना रख देती थी। वो अपन को दिनभर के लिए हो जाता था। लेकिन मामला छुट्टी पर उलझता था। सो अपन को पता चला कि जब कोर्स पूरा नहीं होता है। और परिक्षाएं समय पर होनी हो। तो शिक्षक एक्सट्राक्लास लगाकर कोर्स पूरा करते हैं। लिहाजा फिर क्या था। हमारा कोर्स तो पहले से ही पीछे चल रहा था। और इस विषय में तो आप जितनी क्लास पढ़े उतनी ही कम है। जिंदगी भी अजीब चीज है। जिन विषयों की क्लास अटेंड करने आप नहीं जाते है। उनमें तो पास हो जाते है। और जिस जिंदगी की आप एस्कट्राक्लास भी करते हैं। उसमें फेल हो जाते है। मुझे आपका पता नहीं। लेकिन अपन तो फेल ही हो गए। उस साल नहीं। जिंदगी में।

2 comments:

  1. aap bahut achchha likhte hain..... call me at 9838659380

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  2. बेहतरीन... खास कर आपकी आखरी चाँद पंक्तिया दिल को छु गई

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