Thursday, May 13, 2010

कोक और पेप्सी के शोर में गुम हो गया छांछ और आम का पना

सच बोलिएगा। आपको क्या लगता है। जो जिंदगी हम जी रहे हैं। उसे कौन चला रहा है। हमारे संस्कार। हमारे मूल्य। हमारी परंपराए। या फिर विज्ञापन एजेंसिया। मीडिया में छपते विज्ञापन। और हमारे फिल्मी कलाकारों और क्रिकेटर्स की सलाह। आमिर खान ने कह दिया। ठंडा मतलब कोका कोला। और हमने मान लिया। सचिन ने शाहरूख के साथ मिलकर हमसे कह दिया। पेप्सी अच्छी है। तो हम उनके साथ हो गए। किसी ने कहा कि डर के आगे जीत है। तो हमें लगा बात तो सही है। और इस तरह हम इस हजारों करोड़ के इस धंधे में उपभोक्ता बन गए। हम अपनी गाड़ी कमाई उन्हें देते गए। अपना छांछ और आम का पना भूल गए। बस कोक और पेप्सी याद रहा।
पिछले दिनों हम अपने एक दोस्त के घर यू हीं पहुंच गए। वेवजह। गप्पे ठोकनीं थी। हम दोनों मिले और शुरू हो गए। बीच में कुछ पीने की इच्छा हुई। उसने अपनी पत्नी से गुजारिश की। लेकिन उसकी एप्लीकेशन रद्द हो गई। वो शायद किसी सीरियल के अंतिम पड़ाव में थी। वहीं से उन्होंने आवाज दी। फ्रिज में कोक की बोतल है। खुद भी पीलो । आलोक को भी दे दो। और एक गिलास हमें भी। हम इतने दकियानूसी नहीं है। कि बदलाव को पचा न पाए। न ही पुरातनपंथी है। कि कोक के जमाने में भी छांछ पीने की बात कहे। बात इतनी सी है कि जब हमारी संस्कृति बदलती है। तो कितनी तेजी से हमारे सांस्कृतिक मूल्य भी भरभराकर गिरते हैं। किसी रेत के टीले की तरह।
मैने वो जमाना देखा है। कि मेहमान कोई भी हो। अगर उसे कुछ पीना है तो परिवार के लोग मेहनत करके कुछ बना देते थे। घर के हालचाल पूछते थे सो अलग। पहले मां-पिता भाई बहिनों के फिऱ पत्नी के। लेकिन अब तो फ्रिज में ठंडे की बोतल है। निकाल कर पीलो। मुझे न जाने क्यों ऐसा लगता है जैसे आप लोग मेरे साथ सोचते हो। मेरी तरह। मुझे याद है। किस तरह से घरों में गर्मी के दिनों में मेगों शैक बनता था। कच्चे आम का पना बनता था। सादा और मसालेदार छांछ बनता था। नींबू लेने हमारे घर लोग न जाने कितनी दूर दूर से आते थे। शिकंजी का अपना एक अलग ही मजा था। ठंडाई तो आप लोगों को याद होगी ही। और इन सबके साथ हमारा एक रिश्ता भी बनता था। कभी छांछ के साथ दादी का। तो ठंडाई के साथ दादा का। लेकिन विज्ञापन के इस शोर में हमारा हाथ छुटाकर ये सब न जाने कहां भाग गए। हम सब भूल गए। हमें सिर्फ इतना ही याद है। ठंडा मतलब कोका कोला।

3 comments:

  1. जमाना बदल गया. जिन्दगी की रफ्तार बदल गई है. मूल्यों में बदलाव आया है.

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  2. बिलकुल सही फरमा रहे हैं ...

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  3. बहुत खूब , आपका एक रूप ये भी है, ये आज पता चला

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