Wednesday, May 11, 2016

शिक्षकों की ड्यूटी जूते-चप्पल संभालने में लगा दी। बेशर्मी की हद है कलेक्टर साहब।

सुबह सुबह मूड खराब हो गया। मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर में शिक्षकों की ड्यूटी जूते -चप्पल संभालने की लिए लगा दी। ड्यूटी लगाई वहां के लाट साहब खंडवा के डीएम महेश अग्रवाल ने। कुछ खबरें पढ़ कर दुखी हो जाते है। तो कुछ को पढ़ कर मूड ही खराब हो जाता है। मैंने सुना है स्टालिन अपनी जिंदगी में सिर्फ एक व्यक्ति को बाहर तक भेजने आया था। जब उसके प्राइमरी स्कूल के टीचर उससे मिलने पहुंचे। वहां गुरू ही परमेश्वर है।। ऐसा उनकी संस्कृति में नहीं है। लेकिन फिर भी तानाशाह होने के बाद भी हमसे ज्यादा वे गुरू का सम्मान जानते है। और बेशर्मी की हद तो देखिए कि डीएम साहब कहते है कि शिक्षकों ने सेवा की इच्छा जताई थी। इस आदेश को वापस तो ले लिया गया। लेकिन इस मानसिकता का आप क्या करोगे। जो हमारे समाज में एेसे डीएम पैदा कर रही है। मुझे इस बात को लेकर शर्म आई कि मैं मध्य प्रदेश में जन्मा हू। जहां पर लाट साहब शिक्षकों की ड्यूटी जूते चप्पल स्टेंड पर लगाते हैं। वे नेता। वे संगठन। वे पत्रकार। वे समाजिक संस्थाएं चुप रहेंगी मैं जानता हूं। आखिर लाट साहब से कौन बुराई लेगा।वह भी उन गरीब गुरूओं के लिए।

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