Wednesday, May 18, 2016

कछुआ से अच्छा गुरू कौन हो सकता है।

कान्हा पेंटिग सीखने जाते है। पहले दिन में भी उनके साथ गया। सिखाने वाले टीचर ने पूछा कौन सा जानवर पैंट करना है। कान्हा ने कछुआ चुना। शायद वह बड़े आकार का था। या ज्यादा रंगीन था। खाने ज्यादा थे। रंग भरने के लिए। वजह तो कान्हा ही जानता होगा। लेकिन मैंने सोचा कि जिंदगी हो या पेंटिंग कछुआ से अच्छा गुरू कौन हो सकता है। बचपन की कहानियों में हमने सीखा है। अगर व्यक्ति लगातार चलता रहे। तो वह खरगोश यानि ज्याद क्षमताओं वाले व्यक्ति को भी हरा सकता है। हमने यह भी सीखा कि महत्वपूर्ण जीवन में क्षमताएं नहीं है। न भगवान की दी हुई शक्तियां है बल्कि आप की उद्देश्य के प्रति निष्ठा और उस पर लगातार काम करना ही सफल जीवन का निचोड़ है। कछुआ लंबी उम्र जीता है। उसकी एक और विशेषता है। वह अपना विकास लगातार करता रहता है। हमें उससे यह भी सीखना होगा।

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