Sunday, June 6, 2010

अगले जन्म में सुबह भी जल्दी उठूंगा। लिस्ट में यह भी शामिल।

सुबह चार बजे उठना था। फिर खबर करने जाना था। मन में लगा। जिस रिपोर्टर को कहूंगा। वही नाराज होगा। मन में ही सही। लगा खुद ही चलते हैं। सो अपना नाम ही लिखवा दिया। बुरी आदतें आसानी से नहीं बदलती। मन ने कई बार सोचा। कि जल्दी सो जांए। लेकिन नींद भी अपनी बात कहां मानती है। सो सोया रात दो बजे ही। लगा जैसे आंख बंद ही हुई थी। कि अलार्म बज गया। चार इतनी जल्दी बज जाते हैं। पता ही नहीं था। उठा और छह बजे घर से निकला।
कितने दिनों बाद सुबह देखी। इतनी मासूम। इतनी निश्छल। किसी छोटे बच्चे की तरह। बिना किसी तनाव के। अपनी ही मस्ती में झूमती हुई। मेंरे घर के नीचे ही पार्क है। सो नीचे उतरते ही। पार्क में टहलने जाते और लौटते लोग मिले। सुबह का समाज ही अलग होता है। राम राम करते लोग। आपस मे रुककर बतियाते लोग। चेहरे पर तनाव नहीं। एक सतुष्टि दमकती है। वे लोग हर रोज सुबह सुबह दफ्तर को भागते हुए दिखते थे। जिनसे सालों का परिचय है। लेकिन फिर भी मुस्कराकर ही काम चलाते हैं। लेकिन आज दादा जी मिले। ...घर ...कामकाज.. पत्नी सबके हालचाल पूछते रहे। खूब मेहनत करो अपने शरीर का ध्यान रखो। कई बातें करके गए। सड़क पर निकला। तो सड़क भी एक दम शांत और अकेली। न पीछे से हार्न बजाते वाहन। न रेड लाईट पर ट्रैफ्रिक जाम। न हुर्र हुर्र करते बाइकर्स। न बीआरटी पर वाहनों की लंबी कतार। दम घोंटू धुंआ भी नहीं। और रास्ते में फोन भी नहीं बजा। कि बार बार रुककर फोन सुनों। अपन शादी के घोड़े की तरह चलते हैं। हर थोड़ी देर में फोन बजता है। सुनने रुकते हैं। फिर चलते है। इस तरह दफ्तर पहुंचते हैं। लेकिन सुबह जल्दी पहुंच गया।
दिन तो रोज की तरह ही निकला। लेकिन सुबह का मजा। दिन भर आता रहा। लगा फिर कुछ चूक गए हैं। अपन ने जिंदगी भर दादा को देखा है। सुबह चार बजते उठते। ...नहाते... ध्यान करते। गायत्री का जाप करते। और फिर घूमने जाते है। कई बार हमारे सोने का समय होता था। और उनके जगने का। लगता था। कि मजा रात को ढावे पर बैठकर गप्पे करने में हैं। वो मजा शायद दादा को नहीं पता। ये तो शाम को दस बजे ही सो जाते है। किस तरह की गप्पे। जहां मोहन राकेश से शुरू हुई। तो कालिदास तक गई। लता मंगेशकर से लेकर अमिताभ बच्चन तक। मोहल्ले के किस्सों से लेकर सचिन की बैटिंग तक। कितनी बातें। कितना रस। और फिर ढाबा पर मिलने वाली चाय।गिलास भर। साथ में कभी फ्राई चावल। या फिर खाने की दूसरी चीजें।
लेकिन आज सुबह देखकर लगा। कि इस सुबह का मजा शायद उन रातों से कहीं ज्यादा है। मजा अंदर का है। बाहर का नहीं। और सुबह अँदर ले जाती है। रात बाहर। सुबह उठकर तुम्हें अकेले भी मजा आता है। लेकिन रात का मजा खुद में नहीं होता। बाहर तलाशना पड़ता है। कभी दोस्तों में कभी गप्पों में। अपने पास एक लिस्ट है। जो काम इस जन्म में नहीं हो पाए। वे अगले जन्म में करने हैं। जैसे समय से पढ़ाई लिखाई करनी है। कालेज पूरी करते ही। सरकारी नौकरी करनी है। समय से शादी करनी है। उल्टी सीधी जिंदगी के फलसफों से दूर रहना है। और अब एक चीज और। अगले जन्म में सुबह सुबह जल्दी उठना है। क्या आपके पास कोई ऐसी लिस्ट है। जिसे अगले जन्म में पूरा करना हो। अगर हो तो हमें बताइएगा।

4 comments:

  1. aaj se shuru karte hain ji list taiyar karna.
    acchha lekh. badhayi.

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  2. अरे, बड़ी लम्बी लिस्ट है. बस, लिखना बाकी है. :)

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  3. Nice one Brother.. but tumne jo list agle janam me karne ki banai hai, maine wo na karne ki banaai hai, like kisi se pyaar nahi karna.. Kabhi kisi pe jaldi vishwaas nahi karna.. kabhi smoking ya drinking nahi karni....

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