मैं कहता आंखन देखी
Wednesday, June 2, 2010
आज उलझा हूं। वक्त को सुलझाने में।
सालों पहले सुना था। अब कुछ याद है। कुछ भूल गया हूं। लिहाजा गलत लिखने के लिए मांफी पहले ही मांग रहा हूं। कल मिला वक्त तो जुल्फ तेरी सुलझा दूंगा। आज उलझा हूं। जरा वक्त को सुलझाने में। मैं थोड़ा सा वक्त सुलझा लूं। फिर अच्छे से आप लोगों के साथ आउंगा।
1 comment:
दिलीप
June 2, 2010 at 10:28 PM
intzaar hai...
Reply
Delete
Replies
Reply
Add comment
Load more...
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
intzaar hai...
ReplyDelete