Thursday, June 3, 2010

ब्लाग की डोऱ मुझे से छूट रही है।

मैंने पहले ही कहा था। कि कोई काम अपन लगातार कर ही नहीं पाते। अनुशासन की कमी है। और मेहनत की भी। लेकिन ब्लाग अभी तक लिख रहा हूं। लेकिन समय की कमी। थकान। देर से घर आना। समय के प्रबंधन की कमी। मुझे हर रोज लगता है कि कि ब्लाग की डोर अपन से छूट रही है। समय से रोज लिखना अब बंद हो रहा है। कई बार सिर्फ औपचारिकता करके खत्म कर देता हूं। फिर भी शायद आपका प्यार है कि अब तक तो लिख रहा हूं। आप लोग ही कुछ सलाह दीजिए ।कैसे समय का प्रबंधन करते हैं। आप लोग। क्यों हर बार मैं ही पीछे छूट जाता हूं। समय अपनी रफ्तार से हर बार आगे निकल जाता है।

8 comments:

  1. में दो ही बातें जानता हूँ... एक, कि इतने वर्षों में मैंने कोई कहानी आपसे दोबारा नहीं सुनी; दूसरी, उस कहानी को बयान करने के लिए दस मिनिट से ज्यादा समय लगता नहीं है |

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  5. Why?
    Kindly continue. consider this a service to the community of your friends. LEt people write and rewrite to you and to each other. change the format to a more interactive format (is this possible?)
    But do not give up. Do not shut down.
    The elder Bacchan is reputed to have said (I have said what I had to say". . I feel there is still much scope in you ! So keep at it.

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  6. आपके ब्लॉग पर पहली बार आना हुआ...... एक साथ कई पुरानी पोस्ट पढ़ कर लगा कि आपका लेखन नवीन सोच लिए हुए है...जब जी चाहे तब लिखिए... पढ़ने की चाह रखने वाले पढ़ेंगे.. हम अक्सर सफ़र में रहते हैं... लेकिन जब जी चाहा लिख लिया नही तो कई दिनों तक मौका नही मिला...

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  7. जब समय हो तब लिखिए
    जब मुड़ हो तब लिखिए

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  8. जैसा कि आपने लिखा है, आप बाइट लेने जाते हैं, तो इस समय का सदुपयोग किया जा सकता है. या तो आप अपनी आवाज रेकॉर्ड कर उसे पॉडकास्ट करें या फिर सीडॅक के वाचांतर या श्रुतलेखन (हिन्दी स्पीच टू टैक्स्ट सॉफ़्टवेयर)से लेख में बदल कर छाप सकते हैं.

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