डॉ मनोज सिंह। हम प्रेम में उन्हें टाईगर सिंह कहते हैं। एम्स में शायद ही ऐसा कोई डाक्टर हो जो उन्हें न जानता हो। या फिर शायद ही ऐसा कोई हो जिसे उन्होंने गालियां न बकी हों। पूरी दिल्ली में वे ही शायद ऐसे हैं। जों हमें भी गालियां ही बकते हैं। और अगर वे गालियां न बकें। तो मानलो या तो वे परेशान है। या फिर किसी संकट में। वे कैंसर की स्लाइड और हाथ की लकीर एक ही आंख से देख लेते हैं। pathology पर बात हो या फिर गालिब पर वे एक ही तरह से करते हैं। उनके कमरे में चना...और कॉफी...चाय का सामान हर समय होता है। हर किसी के लिए। वे पत्रकारों में भी काफी लोकप्रिय हैं। हम लोग उनसे मिलने जाते रहते हैं। मैं पिछले दिनों उनके साथ आ रहा था। कि एक डाक्टर साबह मिले ।उन्होंने नमस्कार नहीं किया। सिर्फ बताया कि एक व्यक्ति उनकी किस तरह से बुराई कर रहा था। टाईगर सिंह हंस दिए और चल दिए। उन्होंने कहा कि यह डाक्टर कभी भी हाय हैलो नहीं करता। जब भी मिलेगा। चुगली ही करेगा। या फिर किसी की बुराई।
इस मानसिकता से पीड़ित हमने कई लोगों को देखा है। वे कभी भी किसी भी व्यक्ति की अच्छी बात नहीं कर सकते हैं। हर व्यक्ति में बुराई निकाल ही लेगें। और चुगली करना शायद यह एक मानसिक बीमारी है। कुछ लोग इस दवा को रोज खाते हैं। दफ्तरों में यह बीमारी महामारी की तरह फैली हुई है। अपने अफसर के करीब जाने के लिए यह सबसे आसान और फुर्ती का तरीका है। अफसर को यह बात समझ में आजाती है। कि फलां व्यक्ति अगर उसके पास खबर ला रहा है। तो यह तय हो गया है कि चुगली करने वाला उसका खास आदमी है। लेकिन यह बात क्यों नहीं पूछी जाती है। कि जब मेरी बुराई हो रही थी। तो तुम चुप क्यों थे। तुमने इसका प्रतिकार वहीं क्यों नहीं किया। वे लोग जो हमारे शुभ चिंतक बनते हैं। और हमसे चुगंलियां करते हैं। उनसे यह बात जरूरी पूछी जानी चाहिए। हमारे बुंदेलखंड में कहते हैं। कि अगर वेवजह तुम्हें खांसी चलने लगे तो समझों कोई बीमारी आने वाली है। और कोई व्यक्ति अगर तुम्हारी अचानक खुशामद करने लगे। तो समझों तुम्हारे साथ कोई धोखा होने वाला है। क्या आप भी ऐसे लोगों को जानते हैं जिनका काम ही चुगली करना है। या फिर किसी न किसी की बुराई करना।
No comments:
Post a Comment