Wednesday, June 2, 2010

आज उलझा हूं। वक्त को सुलझाने में।

सालों पहले सुना था। अब कुछ याद है। कुछ भूल गया हूं। लिहाजा गलत लिखने के लिए मांफी पहले ही मांग रहा हूं। कल मिला वक्त तो जुल्फ तेरी सुलझा दूंगा। आज उलझा हूं। जरा वक्त को सुलझाने में। मैं थोड़ा सा वक्त सुलझा लूं। फिर अच्छे से आप लोगों के साथ आउंगा।

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