Monday, July 11, 2011

क्या गिफ्ट दी थी आपने पहली बार किसी अपने को।

कुलू का बेटेम फोन आया। घर से कोई भी फोन सुबह नौ बजे से रात ग्यारह बजे के बीच नहीं आता। आता है। तो नंबर देखकर ही मैं नर्वस हो जाता हूं। फोन आन करने और सुनने के बीच का समय भी बुरा गुजरता है। फोन उठाया और जल्दी से बोला। बोल। क्या हुआ। वह हंसने लगा। बोला परेशान मत होइए। कोई खास बात नहीं। तो फिर फोन क्यों किया। मैं दादी को चैन लाया हूं। इसीलिए। लेकिन वे कहती हैं। कि चूंचूं की चैन का मजा कुछ और था। हालांकि दोनों उपहारों में जमीन आसमान का अंतर है। कीमत में और समय में।
हमें जिंदगी में कई बार कितनी जल्दी रहती है। कि माफिक वक्त का इंतजार ही नहीं होता। उन दिनों हम पढ़ते थे। स्कूल में। मन में आया। और हमने चूंचूं एडवर्टाइजर्स खोल ली। संबंध अपने थे ही। काम भी मिलने लगा। भाग्य से एक चुनाव भी आ गया। कुछ रुपए भी कमा लिए। फिर क्या था। अपन उद्योगपति हो गए। दादी को ले गए। और एक सोने की चैन खरीद लाए। जिंदगी में उसके बाद कई लोगों को गिफ्ट दिए। लेकिन वह न पहले जैसा उत्साह मिला। न गिफ्ट देने की अंदर हूक उठी। बस कभी औपचारिकता में तो कभी परंपरा निभाने के लिए। तो कभी धंधेबाज की तरह व्यवहार लौटाने के लिए। लेकिन गिफ्ट देनें में जो एक मजा आता है। वह जाता रहा। वजह समझ में नहीं आती।
मुझे ऐसा लगता है कि किसी को प्रेम करने की अपनी intensity कम हो गई है। प्रेम करने के लिए एक ताकत और उत्साह के साथ साथ जो एक उतावला पन होना चाहिए। वो नहीं बचा। मैं पिछले कुछ सालों से जितना तनाव में रहता हूं। मुझे उतना ही बच्चा होने की इच्छा होने लगती है। मुझे फिर से कोई वो हुनर सिखा दे। जब किसी को कुछ देने में उतना ही मजा आए।जितना सालों पहले दादी को चैन देते वक्त आया था। आपने भी किसी अपने को कभी न कभी कुछ गिफ्ट दी होगी। क्या थी गिफ्ट। और किसे दी थी। हमें जरूर बताइए। और क्या आपको अभी भी कुछ देने में मजा आ रहा है। तो ये हुनर हमें भी सिखाइए।

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