गॉडफादर। यह फिल्म आपने देखी होगी। या फिर हो सकता है उपन्यास भी पढ़ा हो। मारिया पूजो का। आज कुछ ऐसी घटना घटी। कि यह उपन्यास याद आ गया। उपन्यास का नायक डॉन वीटो कारलोन एक जगह कहता है। दोस्त से मदद मांगना कठिन होता है। व्यक्ति बहुत हार थक कर ही। मदद मांगने जाता है। लिहाजा ऐसे समय सावधानी पूर्वक मदद करनी चाहिए। और ऐसे समय दोस्त को इस तरह मदद करनी चाहिए कि उसे लगे भी न कि उसकी मदद हुई है। मेरे एक हैड़ थे। उनका नाम लिखकर उनसे नजदीकी का डिंडोंरा पीटना नहीं चाहता। लेकिन वे कहते थे। कि मदद करते समय व्यक्ति को और भी नम्र हो जाना चाहिए। वर्ना मदद अहसान लगती है। जिसे लेना और भी कठिन हो जाता है।
जिंदगी में अक्सर ऐसा होता है कि हम अपने साथियों के साथ साथ चलते रहते है। लेकिन जिंदगी के मीटर कुछ और होते है। वह कभी किसी को तो कभी किसी को अपने हिसाब से नांपती तौलती रहती है। उसके तराजू में कौन भारी हो जाए। और कौन बौना रह जाए। कहना मुश्किल है। लेकिन जो लोग जिंदगी की दौड़ में आगे निकल जाते है। कायदे से उन्हें और भी ज्यादा नम्र और आत्मीय हो जाना चाहिए। लेकिन ये लोग अक्सर अक्खड़ और बदमिजाज हो जाते है। वे शायद बताना चाहते है। कि वे इसलिए आगे हैं क्योंकि वे काबिल है। लेकिन क्या जिंदगी में तरक्की सिर्फ काबिल लोगों को मिलती है। क्या जिंदगी की गणित में सिर्फ हुनर ही जीतता है। ऐसा नहीं है। मंजिल के रास्ते कई तरह के होते है। कई जगहों से होकर गुजरते हैं। लिहाजा हो सकता है कि कई बार व्यक्ति सिर्फ भाग्यशाली था और वह कुछ कदम आगे चल गया।लेकिन जिंदगी सिर्फ कुछ सालों का या कुद पदों का खेल नहीं है। जिंदगी तो पूरी की पूरी नापी जाती है। लिहाजा इसका फैसला अभी करना कि कौन कितना आगे और कौन कितना पीछे है। यह मूर्खता ही होगी।
अपन भी जिंदगी में कई लोगों के साथ चले। लेकिन अपनी चाल कुछ मस्ती वाली है। लिहाजा आराम से टहलते हुए चलते है। न किसी का पीछे करने की इच्छा। न किसी से आगे जाने की कवायद। सो तिक्कड़म। जोड़ घटाना कभी सीखा ही नहीं। जो अपन से आगे निकल गए। वे कभी पीछे मुड़कर देखते है। तो अपन भी सलाम कर लेते है। लेकिन सांस फूलाकर उनके पीछे भागते नहीं। न कभी दम लगाकर उनके पीछे पीछे चलने की कोशिश की। पीछे पीछे चलने में भी एक अलग तरह का मजा है। सबको आगे जाते देखते रहिए। और खुद आराम से चलते रहिए। लेकिन अगर आपकी इच्छा आगे जाने की न हो तो। अगर आप इच्छा रख कर भी आगे नहीं जा पाते है। तो फिर आप अपनी कर्महीनता को दर्शन बना रहे है।
जिंदगी में हमारे लिए सबसे कठिन होता है उनसे मदद मांगना जो कभी आपके साथ थे। मदद मांगते समय यह बात तो मन मे रहती ही है। कि हम साथ थे। लेकिन आज हम पीछे हो गए। इस भाव के बाद भी जरूरत मजबूर करती है। कि आप अपने दोस्तों से मदद मांगे। आपके भी कई दोस्त होगें। जिन्हें जिंदगी ने आपसे ज्यादा दिया होगा। सही बताइए। उनसे जलन होती है। या उन्हें देखकर अच्छा लगता है। और आपके भी कई ऐसे दोस्त होगें। जिन्हें आपसे कम मिला है। आपके क्या अनुभव है मदद मांगने के या दोस्तों की मदद करने के। हमें बताइएगा जरूर
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