Tuesday, August 3, 2010

38 साल के हो गए हम। दादी ने कहा जुग जुग जियो।

चुपचाप। अपन 38 साल के हो गए। दादी का फोन आया। दस मिनिट पहले ही। कहती थी। जुग जुग जियो भैया। जुग जुग शायद अपभ्रंश है। युग युग का। मैंने पूछा भी इतना कौन जीता है। और कैसे जीता है। उन्होंने कंपकंपाती आवाज में कहा। बेटा इतने साल आदमी नहीं जीता। उसकी कीर्ति जीती है। और शायद वे कुछ सोंचने लगी। फोन चुप था। मुझे लगा कि शायद वे अपनी बेवसी के बारे में सोचती होगीं। कि दुनिया में सब कुछ उनके सोचने से नहीं हो सकता। वे चाह कर भी मेरी उम्र हजारों साल नहीं कर सकती। लेकिन उनका आशीर्वाद की किसी नाम की कीर्ति हजारों साल रहे।
जन्मदिन की रौनक साल दर साल किस तरह फीकी होने लगती है। हमें याद है जैसे कल ही की बात है। स्कूल जुलाई में खुलते थे। और जन्मदिन अगस्त में। वह भी एक तारीख के पास ही। अपन हमेशा मजे मे रहें। जन्मदिन पब्लिक स्कूल में और भी मजा देता है। एक तो उस दिन रंगीन कपड़े पहनने की छूट होती है। सो पूरी स्कूल में आपके रंगीन कपड़े एलान करते हुए चलते हैं। कि आज आपका जन्मदिन है। हर कोई मुस्कराता हुआ देखता है। और हर भला आदमी शुभकानाएँ देता हुआ चलता है। हमारे कान्वेंट स्कूल में जन्मदिन के दिन प्रिंसिपल जन्मदिन वाले बच्चें को स्टेज पर बुलाती थीं। उसकी लंबी आयु और उसके उज्जवल भविष्य के लिए प्रार्थना करती। पूरी स्कूल हैपी बर्थडे गाती। और फिर खूब जोर से तालियां बजती। इसके अलावा अपने किसी एक प्रिय दोस्त के साथ स्कूल के सभी टीचर्स को च़ॉकलेट बांटने की आजादी भी होती। क्लास में भी आप अपने सभी दोस्तों को मिठाई खिलाते और टॉफी बांटते दिन निकालते। अमूमन उस दिन कोई टीचर मारना तो दूर गुस्सा भी नहीं होता था। यानी पूरा दिन मजें में कटता। दादी ड्राईवर हरि अंकल और कंडक्टर दुलीचंद के लिए अलग से मिठाई का थैला बना देती थी। जो मैं उन्हें बस में घुसते ही पकड़ा देता। वे किसी न किसी को उठा कर मुझे खिड़की वाली सीट पर बैठा देते। यानि जन्मदिन माने वीआपी दिन।
लेकिन अब जन्मदिन सिर्फ एक तारीख मालूम पड़ती है। परिवार वालों के फोन। या फिर किसी एक आध भूले बिसरे साथी का फोन। उसमें भी शुभकामनाएँ कम। खुद की तारीफ ज्यादा होती है। कि इतने सालों बाद भी उन्हें हमारा जन्मदिन याद है। जन्मदिन पर हर साल कुछ न कुछ सोचता रहा हूं। कि नया काम कुछ शूरू करूंगा। लेकिन कभी कर नहीं पाया। इस बार सोचता हूं। कि साल भर लिखता रहूंगा। आप लोग आशीर्वाद दीजिए। जो काम 38 साल में नहीं कर पाया। वो अब कर सकूं। यानि साल भर लिखता रहूं। आपके आशीर्वाद का मुझे इंतजार रहेगा।

2 comments:

  1. जुग जुग जियो भैया । लम्‍हा लम्‍हा बंद मुट्ठी से रेत की तरह फिसलते जा रहे वक्‍त को थामने या पसारने की कोशिश कामयाब नहीं हो सकती। जिंदगी लंबी नहीं बडी बने। दुआ करता हूं दादी के आर्शीवाद की तरह तुम्‍हारा यश जुग जुग जिये।

    ReplyDelete
  2. अगर हमें बुला लेते तो बस एक गिलास पानी में भी मान जाते. पर चलेगा.... ईश्वर आपको स्वस्थ व प्रसन्न रखे. - अनिल सोनी

    ReplyDelete