Sunday, June 26, 2011

काम के लोगों से अपना क्या काम

अपने एक भैया विदेश जा रहे थे। उनकी गैरमौजूदगी में उनके परिवार की जिम्मेदारी अपनी होगी। ये हमने माना। लिहाजा हमने अपना कार्ड घर में दिया। और कहा इसमें मेरा नंबर है। कोई काम हो तो फोन करिएगा। लेकिन मन ही मन संकोच हो रहा था। कि अपन हैं किस काम के। जिस तरह समाज का चलन और काम का स्वभाव बदल रहा है। किसी भी तरफ से देख लीजिए। अपन किसी काम के आदमी नहीं है। इस दौरान भैया आ गए। और उन्होंने कहा तुम चिंता मत करो। तुम्हारा नंबर मेरे पास है। और मेरे फोन में वे ही नंबर है जो काम के आदमी नहीं है। और काम के आदमी अपने किस काम के। मैंने अपने ब्लाग में उनका नाम इसीलिए नहीं लिखा। कि हो सकता है कि आपको लगे कि मैं अपने किसी रिश्तेदार को हीरो बनाना चाहता हूं। क्यों कि आज की दुनिया में ऐसा कौन आदमी है जो काम के लोगों के लिए यह कह सकता है।
बात भैया की नहीं है। बात काम के लोगों की है। और काम की है। मैं पत्रकार दिल्ली में कई सालों से हूं। लेकिन मैं आज भी काम का आदमी नहीं बन पाया। यह बात मेरे दोस्त, मेरे रिश्तेदार और जाननेवाले कहते रहते है। मैं आज भी दिल्ली के किसी स्कूल में एडमीशन नहीं करवा सकता। किसी की एफआईआर थाने में अगर लिखी गई है। तो में उसमें धाराएं नहीं बदलवा सकता। मुफ्त में पास क्रिक्रेट मैच के टिकिट नहीं ला सकता। ट्रांस्फर और ठेका तो दूर की बात है। मेरे कई जानने वाले मुझसे अक्सर पूछते है। कि इतने सालों से तुम दिल्ली में कर क्या रहे हो। जनसत्ता और फिर अब सहारा। तुम कुछ कर ही नहीं पाए। मैं कहता हूं। दिल्ली खबरें करने आया था। सो कर रहा हूं। और क्या करना था। वे लोग चुप हो जाते हैं। और मेरी तरफ टकटकी बांधकर देखते रहते हैं।
मुझे ये बात आजतक समझ में ही नहीं आई। काम का आदमी कौन है। और कैसे बना जाता है। काम कराने वाला आदमी। क्या लोगों को इसकी कीमत नहीं चुकानी पड़ती। क्या उन्हें इस कीमत का अंदाजा नहीं होता। क्या आज भी मैं कार बंगला पत्रकारिता से नहीं खरीद पाया। तो क्या ये निक्कमापन है। क्या किसी का एडमीशन कराना या फिर कोई सरकारी ठेका दिलाना ही पुरूषार्थ है। मुझे पता नहीं। अब तो मुझे ये भी समझ मे नहीं आता कि इस इल्जाम पर खुश हो जाऊं या दुखी। चलो लेकिन इस दुनिया में कुछ ऐसे लोग भी है। जो ऐसे लोगों के फोन नंबर अपने पास रखते है। जो काम के नहीं है। इतना ही काफी है। अपन को दिल्ली में रहने के लिए। और इसी रास्ते पर चलने के लिए। क्या आप भी निक्कमों के फोन नंबर रखते है। तो मेरा नंबर है.......शायद आपके पास होगा ।

2 comments:

  1. कुछ तो लोग कहेंगे , लोगों का काम है कहना ......

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  2. अच्छा है ,बेकाम होने की समझ जल्दी आ गई

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