Sunday, October 5, 2025


शादी की सालगिरह पर कबीर और ठाकुर साहब एक साथ याद आए।

कहीं इसका जिक्र नहीं था। लिहाजा आपको पता नहीं चला। आठ जुलाई को अपनी शादी के सात साल हो गए। व्यापम से संबंधित खबरों को करने के चक्कर में पूरा दिन गुजर गया। बारह बजे के बाद ही रात में घर पहुंचे। सो अपन को भी पता नहीं चला। लेकिन सात साल खूब पता चले। टीवी में काम करने वाले पत्रकारों का वास्ता लड़कियों से पड़ता रहता है। खासकर साथ में काम करने वाली स्मार्ट रिपोटर्स और सुंदर एंकर्स के साथ। कई बार किन्हीं लोगों पर दिल भी आ जाता है। अपन वैसे भी कमजोर दिल के आदमी है। उन दिनों दादी से एक आध बार जिक्र भी किया। लेकिन वे कहने लगी कि भैया नाप की चप्पल पहन लो। तो ठीक से और तेज चल पाओगें। नहीं तो पूरी जिंदगी संभलके चलने में ही कट जाएगी। सो अपन ने एक नाप की लड़की से। देहाती कहूंगा तो वह कम और उसके घर के लोग ज्यादा बुरा मान जाएगें। शादी कर ली।

शादी की सालगिरह पर कबीर याद आए। मैंने सुना है कि एक व्यक्ति कबीर के पास पहुंचा जेठ दोपहरी में। सलाह लेने। पूछा। परिवार के लोग विवाह के लिए पीछे लगे हैं। क्या करूं समझ में नहीं  आता। कबीर कुछ देर शांत रहे। फिर झोपड़ी में चिल्ला कर बोले। शाम ढल गई। रात होने को हैं। दीया नहीं जलाओगी क्या। अंदर से आवाज आई। माफ करना भूल गई। अभी जलाती हूं। कबीर की पत्नि उस दोपहरी में दिया जला कर बाहर रख गई। कबीर ने कहा कि अगर इतना भरोसा एक दूसरे में हो तो विवाह करना चाहिए।

हमारे बुंदेलखंड में ठाकुर साहब का किस्सा बहुत सुनाया जाता है। वे शादी करके लौट रहे थे कि उनकी घोड़ी उछल गई। गुस्से में उन्होंने कहा कि एक। वह कुछ देर बाद फिर उछली। उन्होंने  कहा दो। थोड़ा रास्ता तय करने के बाद वह फिर उछली। उन्होंने कहा तीन और उसे गोली मार दी। उनकी नवेली दुल्हन गुस्से में आ गई।  जोर जोर से चिल्लाने लगी। कोई शादी के दिन क्या हत्या करता है। आपका दिल पत्थर का है क्या। आपको दया नहीं आती क्या। थोड़ा दिमाग का इस्तेमाल तो करना था। ठाकुर साहब उनकी तरफ देखे और कहा एक। लोग कहते हैं। पूरी जिंदगी ठाकुर साहब की मजे से निकल गई। उन्हें दो नहीं  कहना  पड़ा.
मुझे लगा कि किसी संबंध को निभाने के लिए भरोसा बहुत जरूरी है। जितना ज्यादा भरोसा होगा। मजा उतना ज्यादा आएगा। मेंने पती-पत्नियों को मिस  काल पर लड़ते झगड़ते देखा है। उनको फोन की कॉल डिटेल्स का हिसाब मांगते देखा है। डिलीट की हुई मेल पड़ते देखा है। चलते तो ये संबंध भी है। लेकिन इनका ईधन प्रेम न होकर समझौता होता है। और संबंध तो चल भी जाए। लेकिन शादी प्रेम से ही चलती है। भरोसे से ही चलती हैं। चाहे वह भरोसा कबीर की पत्नी का हो या फिर ठाकुर  साहब की पत्नी का

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