Monday, June 6, 2016

नहीं। कुछ पानी तो आदमी का अपना भी होता हैं।

हम लोग बैठकर गप कर रहे थे। तभी किसी ने कहा इस जगह का तो पानी ही खराब है। यहां का पानी पीकर हर कोई ऐसा ही हो जाता है। राज पाठक ने तपाक से कहा कि सारा दोष जगह के पानी का नहीं होता। कुछ पानी तो आदमी का अपना भी होता है। बेबाक और हाजिर जबाबी पर लोग हंसने लगे। लेकिन मैं वही अटक गया। राज पाठक हमारे पुराने साथी है। और करीब मैं उन्हें 15 साल से जानता हूं। वे प्रगतिशील भी हैं। और लिखते भी रहते है। अच्छी बातें लिखने और करने का उन्हें अभ्यास है। लेकिन यह बात सो टंच की थी। बात संस्कार की थी। हालात कैसे भी हो। लेकिन जो संस्कार तुम्हें मिले हैं। तुम उन्हें नजर अंदाज नहीं कर सकते.।तुम्हारे अपने संस्कार बोलते भी हैं। और दिखते भी हैं।

No comments:

Post a Comment