tag:blogger.com,1999:blog-5906664808447874964.post5305963508396017087..comments2023-07-27T03:30:09.271-07:00Comments on मैं कहता आंखन देखी: सागर में धूम। दिल्ली में सन्नाटाalokmohannayakhttp://www.blogger.com/profile/13828741816208168374noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5906664808447874964.post-44084666595802275502011-09-28T21:04:05.308-07:002011-09-28T21:04:05.308-07:00२४ दिन कि छुट्टी होती थी उन दिनों. अपने गाँव में क...२४ दिन कि छुट्टी होती थी उन दिनों. अपने गाँव में कालीजी का इतना धूम-धड़ाका तो नहीं था, हाँ रामलीला का बहुत मजा लेते थे. शाम से पहले ही सबसे आगे अपनी बोरी बिछाकर जगह रिजर्व करना और फिर उसे बचाने के लिए झगड़ना, तब शुरू होती थी रामलीला. सीता स्वयंवर पर जाते कामरूप नरेश पिटटल सरकार और उनके सेवक बिहारीलाल के मनोरंजक प्रहसन का पूरे साल इंतजार रहता था. इस अवसर पर गाँव तो हर साल जाता हूँ पर पिछली बार न जाने कितने साल बाद रामलीला मंडप की ओर गया, पता चला कि कल्लू खंगार (कामरूप नरेश) अब दुनिया में नहीं है पर गुलज़ार (बिहारीलाल)गाँव के सांप्रदायिक हो चले माहौल के बाद भी लोगों को उसी मंच से हँसा रहा था. अनमने भाव से कुछ देर तक वहां रहा और चला आया.. -- अनिल सोनीAnil Sonihttps://www.blogger.com/profile/15675626146517769218noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5906664808447874964.post-70837556719435753082011-09-28T19:46:06.975-07:002011-09-28T19:46:06.975-07:00सच कहा अक्सर इन दिनों में उन दिनों की याद बहुत आती...सच कहा अक्सर इन दिनों में उन दिनों की याद बहुत आती है , पटना , दरभंगा और कलकत्ता के दुर्गापूजा के दिनों को कैसे बिसरा सकते हैं । यादों में डुबा दिया आपने । दिल्ली दीवाली मनाती हैअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.com